संक्षिप्त सार : कामदा एकादशी का व्रत 8 अप्रैल 2025, मंगलवार को रखा जाएगा। एकादशी तिथि 7 अप्रैल की रात 8:00 बजे से शुरू होकर 8 अप्रैल की रात 9:12 बजे तक रहेगी। यह व्रत सभी पापों का नाश करने वाला और पुण्यदायक माना जाता है। व्रतधारी को चावल और उससे बनी चीजों से परहेज करना चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि एकादशी व्रत से मिलने वाला पुण्य सूर्यग्रहण में दान, गौ-दान और अश्वमेघ यज्ञ जैसे महादानों से भी अधिक होता है। इस दिन व्रत करने से पितरों को मोक्ष मिलता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
विस्तार
कालाअंब (सिरमौर): हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है। यह व्रत सभी पापों का नाश करने वाला और मनोकामना पूर्ति करने वाला माना जाता है। 2025 में यह पावन व्रत मंगलवार, 8 अप्रैल को रखा जाएगा।
एकादशी तिथि और व्रत समय:
एकादशी तिथि प्रारंभ: 07 अप्रैल 2025, सोमवार को रात्रि 08:00 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 08 अप्रैल 2025, मंगलवार को रात्रि 09:12 बजे
व्रत तिथि: 08 अप्रैल 2025, मंगलवार
विशेष निर्देश:
07 अप्रैल की रात 7:45 बजे के बाद चावल और चावल से बनी चीजें न खाएं।
बाजार में मिलने वाले पैकेज्ड फूड में अक्सर राइस ब्रान ऑयल होता है, इसलिए उनका सेवन भी वर्जित है।
कामदा एकादशी व्रत का धार्मिक महत्व:
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, एकादशी व्रत से जो पुण्य प्राप्त होता है, वह सूर्यग्रहण में दान देने से भी अधिक फलदायी होता है।
गौदान, सुवर्णदान और अश्वमेध यज्ञ जैसे महादानों से भी ज्यादा पुण्य एकादशी व्रत से मिलता है।
इस व्रत को करने वाले जातकों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने वंशजों पर कृपा करते हैं।
घर में सुख-शांति, समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
व्यक्ति की कीर्ति, श्रद्धा और भक्ति में वृद्धि होती है, जिससे जीवन में आनंद की अनुभूति होती है।
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