विस्तृत समाचार
चंबा। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के सीमांत और दुर्गम क्षेत्र भांदल पंचायत के संघनी गांव में स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला इन दिनों अध्यापकों की भारी कमी से जूझ रही है। जम्मू-कश्मीर की सीमा से सटा यह एकमात्र वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल लगभग 200 विद्यार्थियों के लिए शिक्षा का केंद्र है, लेकिन यहां महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक ही उपलब्ध नहीं हैं। अंग्रेज़ी, राजनीतिक विज्ञान, पीईटी और आईटी जैसे विषयों के प्रवक्ता स्कूल में नियुक्त नहीं हैं। इतना ही नहीं, प्रधानाचार्य का पद भी रिक्त पड़ा है, जिससे स्कूल का संचालन और विद्यार्थियों की पढ़ाई दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
2016 में मिला वरिष्ठ माध्यमिक का दर्जा, फिर भी स्टाफ अधूरा
संघनी स्कूल को वर्ष 2016 में वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला का दर्जा मिला था। उम्मीद थी कि सीमांत क्षेत्र के बच्चों को अब अपने गांव में ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी और उन्हें दूर-दराज़ के स्कूलों में नहीं जाना पड़ेगा। लेकिन 9 साल बाद भी स्कूल में अध्यापकों की भारी कमी बनी हुई है।
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विषय विशेषज्ञों की कमी के कारण अन्य विषयों के अध्यापक ही छात्रों को पढ़ाने के लिए मजबूर हैं। इससे बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता और परीक्षाओं में प्रदर्शन दोनों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। स्थानीय लोग बताते हैं कि परीक्षा में पास होना एक बात है, लेकिन प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता तभी संभव है जब छात्रों को विषय विशेषज्ञों से शिक्षा मिले।
स्थानीय लोगों और स्कूल प्रबंधन की नाराज़गी
भांदल पंचायत और संघनी गांव के स्थानीय लोग लगातार स्कूल की अध्यापक कमी को लेकर चिंता जता रहे हैं। स्कूल प्रबंधन समिति (SMC) के अध्यक्ष असलम, सदस्य रंजी लाल, सूलेमान, पंचायत प्रधान सुरेश कुमार, दीप कुमार और संजीव कुमार ने कहा कि सरकार और शिक्षा विभाग सीमांत क्षेत्र के इस स्कूल के प्रति गंभीर नहीं हैं। बार-बार शिकायत करने के बावजूद रिक्त अध्यापक पद और प्रधानाचार्य का पद नहीं भरा गया। अगर शीघ्र समाधान नहीं हुआ, तो अभिभावकों को सड़क पर उतरना पड़ेगा।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि सलूणी और चंबा जिले के सीमांत क्षेत्रों में शिक्षा की यही सबसे बड़ी समस्या है। अध्यापकों की कमी के कारण गांव के प्रतिभाशाली छात्र भी पीछे रह जाते हैं।
विद्यार्थियों पर असर: पढ़ाई और भविष्य दोनों दांव पर
संघनी स्कूल के लगभग 200 छात्र-छात्राओं को फिलहाल अपने भविष्य की चिंता सता रही है।
अंग्रेज़ी और राजनीतिक विज्ञान जैसे विषयों के बिना 11वीं और 12वीं के विद्यार्थियों की पढ़ाई अधूरी रह जाती है।
आईटी और पीईटी अध्यापक न होने के कारण विद्यार्थी कंप्यूटर शिक्षा और खेलकूद में भी पिछड़ रहे हैं।
प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के लिए विषय विशेषज्ञों का होना अनिवार्य है, लेकिन वर्तमान स्थिति में यह मुश्किल है।
शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया
इस मामले पर उच्च शिक्षा उपनिदेशक भाग सिंह ने बताया कि:
संघनी स्कूल में अध्यापकों की कमी को लेकर उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेज दी गई है।
उम्मीद है कि जल्द ही रिक्त पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी।
सीमांत क्षेत्रों की शिक्षा पर सवाल
संघनी स्कूल का मुद्दा यह बताता है कि हिमाचल प्रदेश के सीमांत और दुर्गम क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था कितनी लचर है।
यदि समय रहते सलूणी और चंबा जिले के सीमांत स्कूलों में स्टाफ की पूर्ति नहीं हुई, तो यहां के बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित रह जाएंगे।
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सीमांत क्षेत्रों के स्कूलों में विषय विशेषज्ञों की नियुक्ति को प्राथमिकता देना चाहिए।