शिमला/नई दिल्ली:
डिजिटल युग में जहां इंटरनेट हमारी ज़िंदगी को आसान बना रहा है, वहीं साइबर क्राइम का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है। इसी क्रम में “साइबर अरेस्ट” शब्द इन दिनों सुर्खियों में है। लेकिन आम लोग अभी भी इससे अनजान हैं। आइए जानें कि क्या होता है साइबर अरेस्ट, इसके पीछे के कारण क्या हैं और कैसे आप इससे बच सकते हैं।
क्या होता है साइबर अरेस्ट?
साइबर अरेस्ट का मतलब है—किसी व्यक्ति को इंटरनेट या डिजिटल माध्यम से की गई अवैध गतिविधि के कारण गिरफ्तार किया जाना। इसमें ऑनलाइन धोखाधड़ी, डेटा चोरी, हैकिंग, फेक आईडी बनाना, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, साइबर बुलिंग या सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट शामिल हो सकते हैं।
किन गतिविधियों से हो सकता है साइबर अरेस्ट?
फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाना
✅ हेट स्पीच या भड़काऊ पोस्ट डालना
✅ ऑनलाइन फ्रॉड (जैसे फेक लॉटरी, नकली वेबसाइट)
✅ डेटा हैकिंग या वायरस फैलाना
✅ ब्लैकमेलिंग या साइबर स्टॉकिंग
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कानूनी धाराएं और सजा
भारत में IT एक्ट 2000 के तहत कई धाराएं लागू होती हैं। इनमें कुछ धाराएं जमानती नहीं होतीं और दोषी पाए जाने पर 3 साल से लेकर 10 साल तक की सजा हो सकती है, साथ ही भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
कैसे बचें साइबर अरेस्ट से?
👉 सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने से बचें
👉 अनजान लिंक पर क्लिक न करें
👉 बैंकिंग जानकारी किसी से शेयर न करें
👉 मजबूत पासवर्ड का इस्तेमाल करें और 2-फैक्टर ऑथेंटिकेशन ऑन रखें
👉 बच्चों को साइबर सेफ्टी की जानकारी दें
सरकार और साइबर सेल की अपील
साइबर सेल ने आम जनता से अपील की है कि वे इंटरनेट का जिम्मेदारी से उपयोग करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत स्थानीय पुलिस या साइबर हेल्पलाइन 1930 पर दें।
निष्कर्ष:
साइबर अरेस्ट से बचाव तभी संभव है जब हम डिजिटल दुनिया में सतर्क रहें और कानून का पालन करें। इंटरनेट की आज़ादी का मतलब गैर-जिम्मेदार होना नहीं है।