Danger Alert: पौंग बांध जलाशय खतरे के निशान से 4 फीट ऊपर, बीबीएमबी रोज 1 लाख क्यूसेक छोड़ेगा पानी

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पंजाब के ग्रामीण इलाकों में भयंकर बाढ़ : दैनिक जनवार्ता

पौंग बांध जलाशय में खतरे का जलस्तर पार, बीबीएमबी रोज 20 हजार क्यूसेक ज्यादा छोड़ेगा पानी

चंडीगढ़: पंजाब और हिमाचल प्रदेश में लगातार बारिश के बाद हालात बिगड़ते जा रहे हैं। सबसे गंभीर स्थिति पौंग बांध जलाशय में देखने को मिल रही है, जहां जलस्तर खतरे के निशान से चार फीट ऊपर चला गया है। बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड) ने हालात को देखते हुए रोजाना छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा को 80,000 क्यूसेक से बढ़ाकर एक लाख क्यूसेक करने का फैसला लिया है।

बीबीएमबी तलवाड़ा टाउनशिप के जल विनियमन प्रकोष्ठ के अतिरिक्त अधीक्षण अभियंता ने जानकारी दी कि बुधवार दोपहर 12 बजे पौंग बांध जलाशय का जलस्तर 1394.15 फीट दर्ज किया गया। यह खतरे के निशान से लगभग चार फीट ऊपर है। ऐसे में पानी का दबाव बांध की सुरक्षा और आसपास के इलाकों के लिए खतरा बन सकता है। इसलिए पानी की निकासी को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जाएगा।

रणजीत सागर बांध के सात गेट खुले

इसी बीच पठानकोट स्थित रणजीत सागर बांध में भी हालात गंभीर हो गए हैं। यहां बुधवार को जलस्तर 526.97 मीटर तक पहुंच गया, जो खतरे के निशान से केवल एक मीटर नीचे है। बांध प्रशासन को मजबूरी में पहली बार इसके सातों गेट खोलने पड़े। इससे पहले 1988 और 1993 में बाढ़ जैसे हालात बने थे, लेकिन 2025 में एक साथ सभी गेट खोलने की नौबत पहली बार आई है। बुधवार को यहां से 71 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया। बांध पर कार्यरत कर्मियों का कहना है कि उन्होंने अपने करियर में ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं देखी।

दो दिन भारी बारिश का अलर्ट

मौसम विभाग ने अगले दो दिनों तक भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। अगर बारिश का सिलसिला इसी तरह जारी रहा तो पौंग बांध जलाशय समेत प्रदेश के अन्य बांधों पर दबाव और बढ़ सकता है। अधिकारियों का मानना है कि हालात और भी बिगड़ सकते हैं और आसपास के निचले इलाकों में बाढ़ की आशंका बनी रहेगी।

विभागों को जारी हुए निर्देश

बढ़ते खतरे को देखते हुए सरकार ने सभी संबंधित विभागों को युद्ध स्तर पर काम करने के निर्देश दिए हैं।

पीडब्ल्यूडी, जल संसाधन विभाग और पीएसपीसीएल को सेवाओं की बहाली के लिए तुरंत कदम उठाने होंगे।

टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं को मोबाइल और लैंडलाइन सेवाओं की मरम्मत और बहाली के लिए अलर्ट किया गया है।

पंचायत और शहरी निकायों को राहत और पुनर्वास कार्यों में सक्रिय सहयोग देने का आदेश दिया गया है।

सभी विभाग और एजेंसियां लोगों की जान और संपत्ति की सुरक्षा को प्राथमिकता देंगी।

आपदाग्रस्त घोषित करने के मायने

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश प्रशासन ने प्रभावित इलाकों को आपदाग्रस्त घोषित करने के संकेत दिए हैं। इसका मतलब होगा कि जिला उपायुक्त अपने स्तर पर त्वरित निर्णय ले सकेंगे और प्रभावित इलाकों के लिए अधिक फंड जारी हो पाएंगे।

नेताओं का दौरा और राजनीति

बाढ़ संकट पर राजनीति भी तेज हो गई है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान वीरवार को पंजाब का दौरा करेंगे। उन्होंने सोशल मीडिया पर इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि वह हालात का जायजा लेकर केंद्र को रिपोर्ट देंगे। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल भी वीरवार को प्रदेश में बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगे।

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इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से विशेष राहत पैकेज देने की मांग की है। उनका कहना है कि पंजाब और हिमाचल प्रदेश के किसानों को भारी नुकसान हुआ है, ऐसे में केंद्र सरकार को आगे आकर सहायता करनी चाहिए।

स्थानीय लोगों की चिंता

पौंग बांध जलाशय के आसपास रहने वाले ग्रामीणों की चिंता लगातार बढ़ रही है। लोगों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से लगातार पानी छोड़े जाने से उनके खेत डूबने लगे हैं। पशुओं के लिए चारा और रहने की जगह की समस्या पैदा हो गई है। प्रशासन ने कुछ गांवों में अलर्ट जारी कर दिया है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी है।

स्थानीय प्रशासन के मुताबिक बांध से छोड़े जाने वाले पानी की रफ्तार बढ़ने के कारण सतलुज और ब्यास नदी के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा और गहरा सकता है। जल संसाधन विभाग के अधिकारी लगातार हालात पर नजर रखे हुए हैं और कहा गया है कि पौंग बांध जलाशय की स्थिति पर हर घंटे रिपोर्ट ली जा रही है।

1988 और 1993 की यादें ताज़ा

लोगों को 1988 और 1993 की बाढ़ की याद ताजा हो रही है, जब पंजाब और हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में भारी तबाही हुई थी। इस बार भी मौसम और बांधों की स्थिति ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। खासकर पौंग बांध जलाशय की ऊंचाई और इसमें बढ़ते जलस्तर ने खतरे की घंटी बजा दी है।

आगे की तैयारी

सरकार और प्रशासन का कहना है कि वे पूरी तरह अलर्ट मोड पर हैं। आपदा प्रबंधन टीमें तैनात कर दी गई हैं। सेना और एनडीआरएफ को भी तैयार रहने को कहा गया है ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत राहत और बचाव कार्य किया जा सके।

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