दैनिक जनवार्ता नेटवर्क
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में हुए विधानसभा चुनावों में 26 साल बाद भगवा लहराया है। गत दिवस दिल्ली विधानसभा की कुल 70 सीटों के चुनाव परिणाम घोषित किए गए। इनमें भाजपा को सबसे अधिक 48 सीटों पर विजय मिली। पिछले चुनावों की अपेक्षा इस बार भाजपा को सात फिसदी मतों की बढ़त मिली और 40 सीटों का फायदा हुआ।
इसके विपरीत आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल के 55 सीटों पर जीत का दावा विफल होने के बाद 22 सीटें ही आप को मिली। पिछले चुनाव की तुलना में इस चुनाव में आप का 10 फिसदी वोट बैंक कम हुआ और 40 सीटों का नुकसान हुआ।
वहीं, कांग्रेस की इस बार भी कोई सीट हासिल न करने की हेट्रिक हो गई। कांग्रेस का दो फिसदी वोट बैंक तो बढ़ा लेकिन सीटें शून्य रही। दिल्ली ने कांग्रेस के पूर्णतया सफाया होने के संकेत दे दिए हैं।
बहरहाल, इस बार चुनाव में जीत हासिल कर भाजपा दिल्ली की सत्ता पर 26 वर्ष बाद काबिज होगी। वहीं, आम आदमी पार्टी अपने 22 विधायकों के साथ दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की भूमिका निभाएगी। अटकलें तेज हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री अतिशी को नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में नजर आएंगी।
भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद किसको सौंपा जाएगा, इसपर भी अटकलों का बाजार गर्म है। क्या केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है? इस सवाल के जवाब में खुद प्रवेश वर्मा का कहना है कि भाजपा शीर्ष नेतृत्व जो भी फैसला करेगा वही सर्वोपरि होगा और सर्वमान्य होगा।



