संक्षिप्त विवरण: हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के 18,925 आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी स्कूलों में मर्ज करने का फैसला लिया है। इस योजना के तहत 3 से 6 साल के बच्चों को एक ही स्थान पर शिक्षा, देखभाल और पोषण की सुविधाएं मिलेंगी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की बजट घोषणा के अनुसार, आंगनबाड़ी केंद्रों को नजदीकी स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा। इसके लिए 6,200 आया और 6,200 शिक्षक नियुक्त किए जाएंगे। पोषाहार को भी अधिक पौष्टिक बनाया जाएगा और जिला स्तर पर खाद्य सामग्री की खरीद के अधिकार दिए जाएंगे। इस एकीकरण से संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा और दोहरे बजट खर्च पर नियंत्रण भी लगेगा।
विस्तृत समाचार
शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के शिक्षा और पोषण तंत्र को और अधिक प्रभावशाली बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा बजट 2025-26 में की गई घोषणा के अनुसार प्रदेश के 18,925 आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। इस ऐतिहासिक निर्णय का उद्देश्य 3 से 6 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को एकीकृत शिक्षा, देखभाल और पोषण सेवाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराना है।
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इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और शिक्षा विभाग मिलकर कार्य कर रहे हैं। अधिकारियों की पहली बैठक हो चुकी है और शीघ्र ही दूसरी बैठक कर प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जाएगा।
बच्चों को मिलेगा समग्र विकास का माहौल
इस परिवर्तन से बच्चों को नजदीकी स्कूलों में स्थानांतरित आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा के साथ-साथ बेहतर पोषण भी उपलब्ध होगा। सरकार ने पूर्व पोषाहार योजना को और अधिक पौष्टिक बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं, साथ ही जिला स्तर पर पोषाहार खरीद की शक्तियां भी दी जाएंगी ताकि स्थानीय स्तर पर बच्चों की जरूरतों के अनुसार भोजन उपलब्ध हो सके।
नए पदों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू
इस योजना के तहत 6,200 आया (सहायक) और 6,200 शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया भी आरंभ हो चुकी है। इसके अलावा, वर्तमान में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को भी नए मर्ज्ड केंद्रों में समायोजित किया जाएगा, जिससे उनकी सेवाएं और अनुभव इस बदलाव में उपयोगी साबित होंगे।
दोहरे खर्च पर लगेगा अंकुश
फिलहाल प्रदेश में आंगनबाड़ी केंद्र और प्री प्राइमरी स्कूल अलग-अलग कार्य कर रहे हैं। दोनों का उद्देश्य बच्चों की देखभाल और प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करना है। ऐसे में सरकार का मानना है कि इन दो व्यवस्थाओं को मिलाकर संसाधनों की बचत होगी और बजट खर्च में पारदर्शिता भी आएगी।



