शिमला। हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल ने मानसून आपदा में हुए नुकसान के आंकड़ों की फिर से पुष्टि करने का निर्णय लिया है। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कैबिनेट बैठक के बाद बताया कि अब संबंधित क्षेत्रों में तहसीलदार, पटवारी, कनिष्ठ अभियंता और अन्य अधिकारियों की टीम मौके पर जाकर वास्तविक नुकसान का दोबारा मूल्यांकन करेंगी। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि फील्ड से आया डाटा 100 प्रतिशत सही नहीं माना जाएगा।
राजस्व मंत्री ने जानकारी दी कि केंद्र सरकार ने आपदा सर्वेक्षण के लिए दो टीमें हिमाचल भेजी हैं, लेकिन राज्य सरकार अपने संसाधनों से राहत पैकेज उपलब्ध करवा रही है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में 2023 और 2024 की तर्ज पर वर्ष 2025 के लिए भी राहत पैकेज तैयार किया गया है।
इस राहत पैकेज की सबसे अहम बात यह है कि यदि किसी परिवार का मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ है, तो केंद्र सरकार के मौजूदा मैनुअल के अनुसार केवल ₹1,30,000 की सहायता मिलती है, लेकिन हिमाचल सरकार अब इसकी राशि बढ़ाकर ₹7,00,000 कर रही है। इससे हजारों प्रभावित परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी।
इसके अतिरिक्त, फसलों के नुकसान के लिए दी जाने वाली राहत राशि में भी बढ़ोतरी की गई है। सरकार का मानना है कि बदलते मौसम और आपदाओं की तीव्रता को देखते हुए राहत राशि का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक था।
राजस्व मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि नुकसान के हर डाटा की दोबारा जांच की जाएगी ताकि योग्य लोगों तक ही सहायता पहुंचे और कोई भी वास्तविक पीड़ित सहायता से वंचित न रहे।