हिमाचल प्रदेश में बिजली दरों और अनावश्यक उप-करों से उद्योग जगत बुरी तरह प्रभावित : दीपन गर्ग

Sanjay Gupta

दैनिक जनवार्ता नेटवर्क
नाहन (सिरमौर)। कालाअंब चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने हिमाचल प्रदेश में बिजली की लगातार बढ़ती लागत पर चिंता जताई है। औद्योगिक संगठन ने राज्य में एक स्थिर और प्रतिस्पर्धी औद्योगिक माहौल की सिफारिश की है।

चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के उपाध्यक्ष दीपन गर्ग ने बताया कि हिमाचल प्रदेश बिजली उत्पादक और सस्ती बिजली के लिए जाना जाता था। कम लागत वाली बिजली उपलब्ध होने की वजह से यहां निवेश के लिए निवेशक आकर्षित हुए थे।

उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षों में सरकार ने बिजली सब्सिडी वापस ले ली और बिजली शुल्क में वृद्धि की है। प्रति यूनिट 10 पैसे दूध उपकर और दो रुपय 10 पैसे पर्यावरण उपकर जैसे नए शुल्क लगा दिए हैं। इन परिवर्तनों के कारण बिजली की लागत में लगभग 50% की वृद्धि हुई है, जो एचपीएसईबीएल के इतिहास में अब तक की सबसे अधिक वृद्धि है।

परिणामस्वरूप, उद्योगों को अब अधिक खर्चों का सामना करना पड़ रहा है। इस से राज्य में उद्योग परिचालन को बनाए रखना या विस्तार करना मुश्किल हो गया है। दीपन गर्ग ने कहा कि अधिकारियों से बार-बार अपील करने और राजनीतिक नेताओं से चर्चा के बावजूद उद्यमियों को कोई राहत नहीं दी गई।

बिजली सभी उद्योगों के लिए एक प्रमुख आवश्यकता है और इस्पात, कपड़ा और अन्य बिजली गहन उद्योगों में बिजली की लागत उत्पादन के खर्च का लगभग आधा हिस्सा है। इसके अतिरिक्त राज्य में उद्योग लगभग लाखों लोगों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं और राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

लिहाजा, उद्योगों पर बढ़ रहे आर्थिक बोझ के मद्देनजर संगठन बिजली शुल्क वृद्धि को तत्काल वापस लेने के साथ साथ दूध और पर्यावरण उपकर हटाने की इस्पात उद्योग की मांग का पुरजोर समर्थन करता है। हम राज्य सरकार से हिमाचल प्रदेश में औद्योगिक विकास और रोजगार पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली इन बढ़ती लागतों को रोकने के लिए सुधारात्मक कार्रवाई करने का आग्रह करते हैं।

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