शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार ने सड़क निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को लेकर सख्त कदम उठाए हैं। प्रदेश में 2025 में कुल 2,000 किलोमीटर सड़कों की टारिंग का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए जहां ठेकेदारों को गुणवत्ता युक्त कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं, वहीं कनिष्ठ और अधिशासी अभियंताओं को भी टारिंग के समय फील्ड में मौजूद रहने के आदेश दिए गए हैं।
लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने स्पष्ट किया है कि टारिंग की गुणवत्ता में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगर कहीं भी मानकों के विरुद्ध कार्य किया गया तो ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा। यही नहीं, अगर अभियंता अपनी ड्यूटी में लापरवाही करते पाए गए तो उनके खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई होगी।
कड़ी निगरानी और जवाबदेही का सिस्टम लागू
प्रदेश सरकार द्वारा सभी सड़कों की टारिंग की गुणवत्ता की नियमित जांच करवाई जा रही है। हर टेंडर को गुणवत्ता के मानकों के आधार पर स्वीकृत किया गया है और अब फील्ड स्तर पर भी निगरानी बढ़ा दी गई है। टारिंग के कार्य 20 मार्च से शुरू कर दिए गए हैं और अगस्त 2025 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
85 ठेकेदारों पर हो चुकी है कार्रवाई
गौरतलब है कि पिछले साल सरकार ने खराब कार्य करने वाले 85 ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की थी। इसी अनुभव को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष पहले से ही सख्ती बरती जा रही है।
ब्लैक स्पॉट और जल निकासी पर भी फोकस
सिर्फ टारिंग ही नहीं, बल्कि क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत, ब्लैक स्पॉट का सुधार और बारिश के पानी की निकासी के लिए नालियों को भी दुरुस्त किया जा रहा है।
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