हिमाचल प्रदेश में फल विधायन से बदल रही किसानों की किस्मत | सिरमौर बना बागवानी का हब

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Sanjay Gupta
By Sanjay Gupta Add a Comment 4 Min Read
फूड प्रोसेसिंग से आमदनी : दैनिक जनवार्ता source: DPRO, Nahan
Highlights
  • धौलाकुंआ व राजगढ़ के विधायन केन्द्र बना रहे किसानों को आत्मनिर्भर, सिरमौर में फूड प्रोसेसिंग से बढ़ी आमदनी

नाहन (सिरमौर): हिमाचल प्रदेश को देश में “फल राज्य” के रूप में जाना जाता है, जहां के लोग कृषि, बागवानी और पशुपालन जैसे परंपरागत व्यवसायों से अपनी आजीविका अर्जित करते हैं। वर्तमान प्रदेश सरकार किसानों और बागवानों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही है, जिनसे उन्हें आर्थिक रूप से मजबूती मिल रही है।

सिरमौर की अनुकूल जलवायु: बागवानी के लिए उत्तम
सिरमौर जिला की जलवायु बागवानी के लिए विशेष रूप से अनुकूल है। यहां के किसान आम, लीची, स्ट्रॉबेरी, कीवी, अमरूद, मौसमी और नींबू जैसे फलों की खेती कर रहे हैं। इन फलों की बिक्री न केवल स्थानीय मंडियों में होती है, बल्कि अन्य राज्यों की मंडियों में भी इनकी भारी मांग है।

फल विधायन केन्द्र: किसानों को मिल रहा सीधा लाभ
धौलाकुंआ स्थित प्रदेश सरकार के उद्यान विभाग का फल विधायन केन्द्र फलों से जूस निकालने और अन्य उत्पाद तैयार करने में अहम भूमिका निभा रहा है। इस केन्द्र के माध्यम से किसान अपने कम ग्रेड के फलों का भी सदुपयोग कर पा रहे हैं।

डॉ. बी.एम. चौहान का योगदान: फलों के वैज्ञानिक उपयोग पर जोर
उद्यान विभाग के फल प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ डॉ. बी.एम. चौहान के अनुसार, सिरमौर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब, नाशपाती, प्लम, आड़ू, खुमानी और कीवी की खेती होती है, जबकि मैदानी क्षेत्रों में आम, लीची, अमरूद, नींबू, मौसमी, आंवला और स्ट्रॉबेरी का उत्पादन होता है। वे बताते हैं कि अच्छी ग्रेडिंग वाले फलों को मंडियों में अच्छा मूल्य मिलता है।

कम ग्रेड फलों का उपयोग: जूस, स्क्वैश, मुरब्बा और जैम में बदल रहे हैं
जो फल कम ग्रेड के होते हैं या जिन पर दाग होते हैं, वे भी बेकार नहीं जाते। धौलाकुंआ और राजगढ़ के विधायन केन्द्रों में इनका उपयोग जूस, जैम, चटनी, स्क्वैश, अचार और मुरब्बा बनाने में किया जाता है। आंवले का जूस, जो शुगर फ्री होता है, विशेष रूप से स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है।

फूड प्रोसेसिंग और विक्रय नेटवर्क का विस्तार
धौलाकुंआ केन्द्र के अंतर्गत 6 विक्रय केन्द्र संचालित हो रहे हैं — जिनमें 3 सरकारी और 3 निजी क्षेत्र में हैं। राजगढ़ विधायन केन्द्र के तहत भी एक विक्रय केन्द्र है। इन केन्द्रों से प्रति वर्ष 25 मीट्रिक टन जूस, अचार, चटनी और जैम का विक्रय किया जा रहा है।

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शिक्षा और प्रशिक्षण: नई पीढ़ी को जोड़ा जा रहा बागवानी से
जिला के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को विधायन केन्द्र की गतिविधियों से अवगत करवाया जा रहा है, जिससे उनमें कृषि और बागवानी के प्रति रूचि विकसित हो रही है। इसके अलावा, कम लागत वाली सामुदायिक डिब्बा बंदी सेवा भी उपलब्ध करवाई जा रही है, जिससे किसान स्वयं अपने उत्पाद तैयार कर सकते हैं।

500 बागवानों को मिला प्रशिक्षण: 13 प्रशिक्षण शिविर आयोजित
वित्त वर्ष 2024-25 में 13 प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर 500 बागवानों को फल विधायन की आधुनिक तकनीक से अवगत कराया गया। इससे उन्हें अपने उत्पादों का अधिकतम उपयोग कर लाभ कमाने का मार्ग मिला।

बागवानों के लिए आह्वान: सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं
डॉ. बी.एम. चौहान ने बागवानों से आह्वान किया कि वे प्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ उठाएं और विधायन केन्द्रों का दौरा कर उत्पादों का दीर्घकालिक उपयोग कर अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ बनाएं।

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