विस्तृत खबर : शिमला: हिमाचल प्रदेश की दवा निर्माता कंपनियों की विश्वसनीयता को ठेस पहुंचाने की कोशिशें की जा रही हैं। दूसरे राज्यों में बनी घटिया गुणवत्ता वाली दवाओं पर ‘हिमाचल में निर्मित’ का झूठा दावा किया जा रहा है। इस पर प्रदेश के राज्य दवा नियंत्रक डॉ. मनीष कपूर ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि इस तरह की साजिश हिमाचल प्रदेश को दवा हब के रूप में बदनाम करने का प्रयास है।
डॉ. कपूर ने जानकारी दी कि राज्य सरकार ने कम गुणवत्ता या खराब दवा निर्माण करने वाले निर्माताओं के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। वर्ष 2024-25 में उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और हरियाणा के खाद्य एवं औषधि प्रशासन प्राधिकरण ने 20 ऐसी दवाओं की पहचान की, जिनके पैकेट पर सोलन और सिरमौर में निर्मित होने का दावा किया गया था।
हालांकि, जब इन दवाओं की गहन जांच की गई, तो पाया गया कि इन्हें बनाने वाली कोई भी कंपनी हिमाचल प्रदेश में पंजीकृत ही नहीं है। यह खुलासा नकली दवा माफिया द्वारा राज्य की प्रतिष्ठा को धूमिल करने की सुनियोजित साजिश की ओर इशारा करता है।
कड़ी कार्रवाई की मांग
हिमाचल प्रदेश राज्य दवा नियंत्रक ने संबंधित राज्यों के खाद्य एवं औषधि प्रशासन को त्वरित सूचना देकर मामले में उचित विधिक कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार इस तरह के झूठे दावों को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठा रही है।
हिमाचल: दवा निर्माण में अग्रणी राज्य
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश देश के प्रमुख दवा उत्पादक राज्यों में से एक है। यहां स्थापित फार्मा कंपनियां उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं का निर्माण करती हैं, जो न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी निर्यात की जाती हैं। राज्य सरकार की सख्त गुणवत्ता नियंत्रण नीति और निरंतर निगरानी के चलते यहां की दवा कंपनियां वैश्विक मानकों का पालन करती हैं।
डॉ. मनीष कपूर ने स्पष्ट किया कि प्रदेश की छवि को नुकसान पहुंचाने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने फार्मा कंपनियों को भी सतर्क रहने की सलाह दी और उपभोक्ताओं से अपील की कि वे दवाएं खरीदते समय उनके मैन्युफैक्चरिंग डिटेल्स की जांच अवश्य करें।
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