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शिमला : हिमाचल प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड संबंधी एक नया परामर्श जारी किया है, जिसमें जींस, टी-शर्ट, चटक रंगों वाली और अत्यधिक फैशनेबल पोशाकों के पहनावे पर रोक लगाने की सलाह दी गई है। यह सलाह अनिवार्य नहीं है, बल्कि स्वैच्छिक है, और इसका उद्देश्य स्कूलों में पेशेवर माहौल बनाए रखना और छात्रों के लिए एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करना है।
शिक्षा सचिव राकेश कंवर द्वारा जारी इस परामर्श में कहा गया है कि शिक्षक विद्यार्थियों के लिए रोल मॉडल होते हैं, और उनका पहनावा विद्यार्थियों के मन में गहरी छाप छोड़ सकता है। ऐसे में शिक्षकों को औपचारिक और गरिमापूर्ण पहनावा अपनाने की सलाह दी गई है। कई शिक्षक पहले से ही स्वेच्छा से एक समान और औपचारिक पोशाक अपना चुके हैं, जो एक सराहनीय पहल मानी गई है।
पुरुष शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड में हल्के रंगों की औपचारिक शर्ट और पैंट को प्राथमिकता दी गई है। वहीं, महिला शिक्षकों को सलवार-कमीज (दुपट्टे के साथ), साड़ी, चूड़ीदार सूट या औपचारिक पश्चिमी परिधान पहनने की सलाह दी गई है। इसके अलावा, मैरून या नीले रंग के ब्लेज़र, पेशेवर जूते और सौम्य श्रृंगार को भी प्रोत्साहित किया गया है।
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यह ड्रेस कोड परामर्श शिक्षकों तक सीमित नहीं है। गैर-शिक्षण कर्मचारियों को भी पेशेवर परिधान अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। हालांकि, इस ड्रेस कोड को लागू करने की जिम्मेदारी प्रत्येक विद्यालय प्रशासन के विवेक पर छोड़ी गई है। स्कूल स्थानीय संस्कृति और मौसम के अनुसार ड्रेस कोड में लचीलापन बरत सकते हैं और इसके पालन के लिए विशिष्ट दिन भी तय कर सकते हैं।
यह कदम हिमाचल प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को अधिक अनुशासित और पेशेवर बनाने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास माना जा रहा है।