दैनिक जनवार्ता नेटवर्क
मुलाक़ात एक खास शहर से
ऋतु त्रिपाठी
दिल्ली। दिल्ली भारत की राजधानी है। इसे देश का दिल भी कहा जाता है। दिल्ली का इतिहास बहुत पुराना है। दिल्ली का उल्लेख महाभारत काल से है, जब इसे इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था।
पुरातन तथ्यों के मुताबिक ईसा से 2000 पूर्व ईसा से भी दिल्ली में लोग रहते थे। दिल्ली के इतिहास में कई राजवंशों का शासन रहा है। बहु मंजिला इमारत और व्यस्त बाजारों में दिल्ली के इतिहास के कई युग छुपे हैं।
1400 ईसा पूर्व पांडवों ने एक बंजर भूमि पर शहर का निर्माण किया और उसे अपना निवास स्थान बनाया। जिसे इंद्रप्रस्थ का नाम दिया गया। इतिहास की शुरुआत तोमर राजपूतों के आगमन से हुई थी, जो अर्जुन के उतराधिकारी थे।
1180 ई. के आसपास दिल्ली महान शासक पृथ्वीराज चौहान के शासन में आ गई। उन्होंने इसका नाम बदल कर किला राय पिथोरा रख दिया था। वह दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाले अंतिम हिंदू शासक थे।
इसके पश्चात् 1192 में मुहम्मद गोरी ने राजपूत शहर पर कब्जा कर लिया। 1526 में मुगल शासन की शुरुआत हुई। शहर की बागडोर एक शासक से दूसरे शासक के हाथ में जाती रही। यही वजह है कि दिल्ली के इतिहास और संस्कृति में विविधता देखने को मिलती है।
1803 में दिल्ली ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण में आ गई। वर्ष 1947 में आखिरकार अंग्रेज भारत छोड़ कर चले गए और दिल्ली को भारत की राजधानी बना दिया गया।
इस शहर ने सब कुछ देखा है। कई साम्राज्य बदलते देखे हैं। राजपूताना से लेकर मुगल साम्राज्य तक और यहां के लोगों के खून से रंगी सड़के। फिर भी दिल्ली अपने इतिहास की छाप को उल्लेखनीय रूप से प्रदर्शित करती है।
ये भारत का अति प्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारंभ सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास हुई खुदाई में इस बात का प्रमाण मिलता है।