कालाअंब (सिरमौर)। हिमाचल प्रदेश के प्रवेश द्वार माने जाने वाले कालाअंब में टोल टैक्स पास को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। हरियाणा की सीमा से सटे कालाअंब क्षेत्र के ग्रामीणों में टोल टैक्स ठेकेदार के खिलाफ भारी रोष व्याप्त है। विवाद की जड़ है—पास न बनाए जाना और नए शुल्क नियम, जिससे लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है।
हरियाणा के दर्जनों गांवों को रोज़ाना भुगतना पड़ रहा है टोल टैक्स
कालाअंब और आसपास के 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले हरियाणा के गांवों के सैकड़ों लोग प्रतिदिन हिमाचल प्रदेश में स्थित औद्योगिक इकाइयों और व्यवसायों के लिए आवाजाही करते हैं। इसके अलावा, बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने की आवश्यकता भी है, जिससे उन्हें रोज़ टोल टैक्स अदा करना पड़ रहा है।
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पहले यह पास ₹350 सालाना शुल्क पर बनाए जाते थे, जिसे अब ₹370 कर दिया गया है। लेकिन इस बार हरियाणा के लोगों को पास के लिए ₹7100 की दर निर्धारित की गई है, जिसे लोग अन्यायपूर्ण और अस्वीकार्य मान रहे हैं।
ग्रामीणों की प्रमुख मांगें और बयान
ग्राम पंचायत कालाअंब (हरियाणा) की सरपंच उषा रानी, परवीन कुमार, डेरा के सरपंच बलजीत सिंह, कुलदीप सिंह, सौरभ राणा और शैलेश कुमार ने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें पुरानी दर पर ही पास चाहिए। ग्रामीणों का कहना है कि टोल ठेकेदार नई शर्तों और प्रक्रिया के नाम पर ग्रामीणों का शोषण कर रहा है।
टोल टैक्स प्रभारी का पक्ष
टोल टैक्स कालाअंब के प्रभारी मनीष ने बताया कि टोल टैक्स संग्रहण का कार्य प्रदेश टोल टैक्स अथॉरिटी के दिशा-निर्देशों और शर्तों के अनुरूप ही किया जा रहा है। यदि कोई पास बनवाना चाहता है तो उसे सभी जरूरी दस्तावेज़ जमा करने होंगे। सभी पास नियमों के तहत ही बनाए जा रहे हैं।
ग्रामीणों की मांग: न्यायसंगत शुल्क पर पास बने
ग्रामीणों की एकजुट मांग है कि उन्हें पुराने शुल्क ₹370 पर ही पास प्रदान किए जाएं और टोल टैक्स के अत्यधिक बढ़े शुल्क को वापस लिया जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे आंदोलन का रास्ता अपना सकते हैं।