मंडी (हिमाचल प्रदेश): विजिलेंस ब्यूरो ने जिला मंडी के चार आयुर्वेदिक डॉक्टरों के खिलाफ फर्जी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) प्रमाणपत्र के आधार पर सरकारी नौकरी प्राप्त करने के आरोप में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। यह मामला धर्मशाला विजिलेंस ब्यूरो की गहन जांच के बाद सामने आया है।
सूत्रों के अनुसार, बैजनाथ (कांगड़ा) निवासी एक महिला ने विजिलेंस को शिकायत सौंपी थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि कुछ डॉक्टरों ने EWS प्रमाणपत्र में फर्जीवाड़ा कर सरकारी सेवा में नियुक्ति प्राप्त की। इस शिकायत के आधार पर धर्मशाला विजिलेंस टीम ने आयुष विभाग से आवश्यक दस्तावेज और नियुक्तियों का रिकॉर्ड हासिल किया।
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जांच में यह सामने आया कि वर्ष 2022 में दो अधिसूचनाओं के तहत कुल 11 आयुर्वेदिक डॉक्टरों की नियुक्ति की गई थी, जिनमें से 14 डॉक्टरों ने EWS प्रमाणपत्र के आधार पर आवेदन किया था। इन प्रमाणपत्रों की गहराई से जांच की गई तो पाया गया कि मंडी जिले के चार डॉक्टरों—जो टिहरा, छतरी, चुराग और हीरानगर क्षेत्र से हैं—के दस्तावेज़ फर्जी पाए गए।
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इसके बाद विजिलेंस ब्यूरो मंडी ने चारों डॉक्टरों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएं 420 (धोखाधड़ी), 465 (जालसाजी), 467 (फर्जी दस्तावेज बनाना), 468 (धोखाधड़ी के इरादे से जालसाजी) और 471 (फर्जी दस्तावेज का उपयोग) के तहत मामला दर्ज किया है।
प्रशासनिक सख्ती:
यह मामला राज्य में सरकारी भर्तियों में पारदर्शिता को लेकर उठते सवालों के बीच सामने आया है। विजिलेंस की इस कार्रवाई से साफ संकेत मिलते हैं कि ऐसे मामलों में अब सख्त कदम उठाए जाएंगे।



