शिमला। बहूचर्चित नेशनल हेराल्ड मामले पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बड़ा बयान दिया है। मंगलवार को शिमला स्थित कांग्रेस पार्टी मुख्यालय राजीव भवन में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि यह मामला पूरी तरह से राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम है।
गहलोत ने बताया कि नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना 1938 में स्वतंत्रता संग्राम को मजबूती देने के लिए की गई थी। हालांकि समय के साथ जैसे कई अखबार बंद होते हैं, उसी प्रकार नेशनल हेराल्ड भी बंद हो गया। इसे दोबारा शुरू करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने 10 वर्षों में लगभग 90 करोड़ रुपये की सहायता की और एक गैर लाभकारी कंपनी का गठन किया गया।
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उन्होंने कहा कि इसमें से 70 करोड़ रुपये कर्मचारियों के बकाया वेतन और भत्तों के भुगतान में खर्च किए गए। जबकि अब आयकर विभाग ने 413 करोड़ रुपये की संपत्ति का असेसमेंट किया है, जिससे जनता के बीच भ्रम फैलाया जा रहा है कि गांधी परिवार के पास 5000 करोड़ की संपत्ति है।
गहलोत ने इस दावे को नकारते हुए कहा, “नेशनल हेराल्ड एक गैर लाभकारी कंपनी है और इस पर की गई कार्रवाई सिर्फ गांधी परिवार को बदनाम करने और उन्हें प्रताड़ित करने के उद्देश्य से की गई है।” उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताते हुए कहा कि फासीवादी ताकतें सत्ता में आ चुकी हैं, जिससे देश का भविष्य अनिश्चितता की ओर बढ़ रहा है।
गहलोत ने आगे कहा कि “देश में भय और ध्रुवीकरण का माहौल तैयार किया जा रहा है, जो न केवल संविधान के खिलाफ है, बल्कि भारत के भविष्य के लिए भी घातक है।”
प्रेस वार्ता के दौरान हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, मंत्री विक्रमादित्य सिंह, अनिरुद्ध सिंह और विधानसभा उप मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया भी उपस्थित रहे।