मारकंडा नदी प्रदूषण का मामला लगातार गंभीर होता जा रहा है। यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह न केवल स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण के लिए भी एक बड़ा खतरा बन सकता है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे कालाअंब औद्योगिक क्षेत्र में सख्त पर्यावरण नियमों को लागू करें और नदी को स्वच्छ व सुरक्षित बनाए रखने के लिए प्रभावी कदम उठाएं।
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कालाअंब (सिरमौर)। औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब में स्थित मारकंडा नदी में लगातार दूषित जल छोड़े जाने के मामले सामने आ रहे हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, नदी में छोड़े जा रहे औद्योगिक कचरे और केमिकल युक्त पानी के कारण नदी का पानी काला पड़ने लगा है, जिससे न सिर्फ पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है, बल्कि लोगों की धार्मिक भावनाएँ भी आहत हो रही हैं।
स्थानीय लोगों ने जताई नाराज़गी
मोहित, अरुण, संजीव, तारा सिंह, जोरावर सिंह और नत्थू सिंह जैसे स्थानीय नागरिकों ने चिंता जताई कि मारकंडा नदी को लोग धार्मिक आस्था से जोड़ते हैं। पर्व और त्योहारों पर यहां स्नान किया जाता है, लेकिन जल प्रदूषण के कारण अब यह संभव नहीं रहा।
औद्योगिक इकाइयों पर उठ रहे सवाल
स्थानीय लोगों को आशंका है कि कालाअंब औद्योगिक क्षेत्र की कई फैक्ट्रियां अपने रासायनिक अपशिष्ट को बिना ट्रीटमेंट किए ही नदी में बहा रही हैं। इससे नदी का जल स्तर और जल गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हो रही है, जिससे क्षेत्र में जलजनित बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है।
एनजीटी में शिकायत की तैयारी
स्थानीय लोगों का कहना है कि जल्द ही इस मामले को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के संज्ञान में लाया जाएगा, ताकि पर्यावरण संरक्षण को लेकर सख्त कार्रवाई हो सके। उन्होंने संबंधित विभाग से मांग की है कि नदी में दूषित जल छोड़ने वाली औद्योगिक इकाइयों पर कड़ी निगरानी रखी जाए और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
क्या कहता है पर्यावरण संरक्षण कानून?
भारत में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत किसी भी उद्योग को बिना ट्रीटमेंट किए नदी या अन्य जल स्रोतों में अपशिष्ट जल छोड़ने की अनुमति नहीं है। अगर कालाअंब के उद्योग इस नियम का उल्लंघन कर रहे हैं, तो उन पर सख्त दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है।
समाधान की जरूरत
स्थानीय लोग चाहते हैं कि सरकार और प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से लें और मारकंडा नदी के संरक्षण के लिए उचित कदम उठाएं। औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी जल्द से जल्द जांच कर दोषी फैक्ट्रियों पर जुर्माना और आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए।



