सारकोपीनिया: मांसपेशियों का खामोश दुश्मन – समय रहते कदम उठाएं, जीवनभर मजबूत रहें।

लेखक: डॉ. राजवंत कौर, सहायक प्रोफेसर, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय, घरुआं, मोहाली, पंजाब
चंडीगढ़: सारकोपीनिया, जिसे आम भाषा में “मांसपेशियों की कमजोरी” कहा जा सकता है, उम्र के साथ शरीर में मांसपेशियों की ताकत और द्रव्यमान में गिरावट का नाम है। यह एक धीमी लेकिन गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है, जिसे अक्सर उम्र का स्वाभाविक असर मानकर अनदेखा कर दिया जाता है।
🔍 यह केवल बुजुर्गों की समस्या नहीं है
हाल के शोधों और विशेषज्ञों की राय के अनुसार, खराब जीवनशैली, संतुलनहीन आहार, और शारीरिक निष्क्रियता के कारण अब युवा वर्ग भी इस स्थिति का शिकार हो रहा है। देर तक बैठना, जंक फूड खाना और शारीरिक गतिविधियों की कमी इसके बड़े कारण हैं।
⚠️ सारकोपीनिया के लक्षण:
मांसपेशियों में ताकत की कमी,
जल्दी थक जाना,
चलने या उठने-बैठने में कठिनाई,
गिरने का बढ़ता खतरा,
वजन का कम होना बिना किसी कारण।
🧠 कारण:
उम्र बढ़ना (प्राकृतिक प्रक्रिया),
प्रोटीन और आवश्यक पोषक तत्वों की कमी,
हॉर्मोनल बदलाव,
शारीरिक निष्क्रियता,
क्रोनिक बीमारियाँ जैसे डायबिटीज़, अर्थराइटिस।
✅ समय रहते रोकथाम कैसे करें?
युवाओं के लिए:
प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट की शक्ति आधारित एक्सरसाइज़ (जैसे वेट ट्रेनिंग),
हर भोजन में पर्याप्त प्रोटीन शामिल करें (दाल, अंडा, सोया, दूध, चिकन आदि),
लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठने से बचें,
संतुलित आहार और पर्याप्त नींद लें।
बुजुर्गों के लिए:
हल्के योग और स्ट्रेचिंग,
फिजियोथेरेपी की सलाह,
विटामिन D, ओमेगा-3 और एमिनो एसिड सप्लीमेंट्स,
वियरेबल मसल मॉनिटरिंग से नियमित निगरानी,
न्यूट्रास्यूटिकल्स और ट्रांसडर्मल ड्रग डिलीवरी के विकल्प,
🔬 नई तकनीकों से मिल रही है मदद
आज के डिजिटल और मेडिकल इनोवेशन के दौर में, मांसपेशियों की सेहत की निगरानी अब आसान हो गई है। वियरेबल डिवाइसेज़ से मसल एक्टिविटी की ट्रैकिंग, व्यक्तिगत पोषण सलाह, और स्मार्ट एक्सरसाइज गाइड्स अब एक सामान्य व्यक्ति की पहुंच में हैं।
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