दैनिक जनवार्ता नेटवर्क
नई दिल्ली। हमारा देश ने प्राचीन मंदिर एक धरोहर के रूप में संजो कर रखे हुए हैं। यहां बहुत ही प्राचीन और रहस्यमयी मंदिरों की भरमार है, जिनका इतिहास में वर्णन भी मिलता है। इनमें से ही एक मंदिर है मां कामाख्या देवी मंदिर।
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➡️ मां कामाख्या देवी मंदिर असम राज्य की राजधानी गुवाहाटी के नजदीक स्थित है। ये एक चमत्कारिक मंदिर है। बताया जाता है कि ये मंदिर मां भगवती के 51 शक्तिपीठों में शामिल है। हालांकि, इस मंदिर में देवी माँ की कोई मूर्ति नहीं है।
पुरानी कथाओं के अनुसार जब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से मां सती के शव को काटा था, तो कामाख्या में उनके शरीर का एक भाग गिरा था। जहां जहां माता सती के अंग गिरे वह जगह शक्तिपीठ कहलाती है। यहां पर कोई मूर्ति नहीं है, इसलिए मां श्री के शरीर के अंग की पूजा की जाती है।
➡️ कामयाख्या देवी मंदिर को शक्ति -साधना का केंद्र माना जाता है। यहां पर हर किसी की मनोकामना पूरी होती है। ये मंदिर तीन भागों में बंटा हुआ है। इसके पहले हिस्से में हरेक व्यक्ति नहीं जा सकता। दूसरे भाग में माता के दर्शन होते हैं। यहां पर एक पत्थर से हर समय पानी निकलता रहता है।
बताया जाता है कि इस पत्थर से महीने में एक बार खून की धारा बहती है। ये क्यों होता है कैसे होता क्या इसके पीछे रहस्य है इसका पता आज तक वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए।
मान्यता है यहां देवी की मूर्ति हर साल रजस्वला होती है। इस समय मंदिर के दरवाजे अपने आप बंद हो जाते हैं। इस दौरान तीन दिन तक अंबुबाची मेला लगता है। इस मेले के दौरान श्रद्धालुओं को लाल रंग का भीगा हुआ कपड़ा प्रसाद के रूप में दिया जाता है।
इतना ही नहीं इस दौरान ब्रह्मपुत्र नदी का पानी भी लाल हो जाता है। इस नदी में स्नान करना निषेध होता है। ये मंदिर तंत्र साधना के लिए अहम स्थान माना जाता है। इसलिए यहां अघोरियों और तांत्रिकों का तांता लगा रहता है।