Tragic Loss: मणिमहेश यात्रा 2025 में 20 श्रद्धालुओं की मौत, कई घायल Airlift

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भरमौर में राहत कार्य में जुटी जेसीबी मशीन : दैनिक जनवार्ता

मणिमहेश यात्रा में 20 श्रद्धालुओं की मौत, कई घायलों को एयरलिफ्ट कर चंबा पहुंचाया गया

चंबा : पवित्र मणिमहेश यात्रा हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में हर साल लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र रहती है। भगवान शिव की इस दिव्य यात्रा को पूरा करने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु भारी संख्या में आते हैं। लेकिन इस बार की यात्रा श्रद्धालुओं के लिए बेहद दुखद साबित हुई है। मणिमहेश यात्रा के दौरान अब तक 20 श्रद्धालुओं की मौत की पुष्टि हुई है। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 14 अगस्त से 31 अगस्त के बीच विभिन्न पड़ावों पर श्रद्धालुओं ने अपनी जान गंवाई। मौत के प्रमुख कारण सांस फूलना, ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी और यात्रा के दौरान अचानक बिगड़ी तबीयत बताए जा रहे हैं।

अलग-अलग तारीखों पर हुईं मौतें

आंकड़ों के अनुसार, 14 अगस्त को भरमौर में जम्मू-कश्मीर निवासी देवेंद्र सिंह पुत्र गोपी राम की मौत हो गई। इसके बाद 15 अगस्त को सलूणी निवासी अक्षय कुमार, पंजाब निवासी गगन पुत्र तिलक राज और मनप्रीत पुत्र बलविंद्र ने अपनी जान गंवाई। 17 अगस्त को पंजाब निवासी सरवण सिंह और कांगड़ा निवासी शेखर पुत्र देवराज की भी मौत हो गई।

3 अगस्त को कांगड़ा निवासी अजय कुमार पुत्र पुरुषोत्तम की जान गई। इसके अलावा 25 अगस्त को सुजानपुर निवासी अमन, पठानकोट निवासी रोहित, गुरदासपुर निवासी अनमोल और दर्शना देवी ने दम तोड़ दिया। 26 अगस्त को यात्रा पर निकलीं सलोचना देवी और कविता देवी की मौत हुई। 28 अगस्त को कुगति ट्रैक पर सागर भटनागर ने प्राण गंवाए। वहीं, भरमौर में हरविंद्र, तरसेम और अन्य चार शव भी मिले हैं, जिनकी शिनाख्त अभी नहीं हो पाई है। इन सभी घटनाओं ने मणिमहेश यात्रा की चुनौतियों और जोखिमों को उजागर किया है।

ऊंचाई और कठिन ट्रैक बना चुनौती

मणिमहेश यात्रा समुद्र तल से 13,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित झील तक की है, जहां तक पहुंचना श्रद्धालुओं के लिए शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से बेहद कठिन माना जाता है। अचानक मौसम का खराब होना, ऑक्सीजन की कमी और लंबा ट्रैक कई बार श्रद्धालुओं के लिए जानलेवा साबित होता है। इस बार भी लगातार बारिश और भूस्खलन ने रास्तों को और खतरनाक बना दिया। डॉक्टरों का कहना है कि ऊंचाई पर सांस लेने में तकलीफ सबसे बड़ा कारण बन रहा है। यही वजह है कि अधिकतर श्रद्धालु ऑक्सीजन की कमी और हार्ट अटैक जैसी समस्याओं का शिकार हुए।

घायलों को एयरलिफ्ट कर चंबा पहुंचाया गया

मौतों के साथ-साथ कई श्रद्धालु मणिमहेश यात्रा के दौरान गंभीर रूप से घायल भी हुए। बुधवार को चार श्रद्धालुओं को एयरलिफ्ट कर चंबा मेडिकल कॉलेज पहुंचाया गया। इनमें बिलासपुर की 32 वर्षीय रमा देवी शामिल थीं, जिन्हें ऊंचाई पर सांस लेने में दिक्कत हुई। रमा देवी पत्नी पवन अचानक बिगड़ी तबीयत के कारण हेलिकॉप्टर से चंबा लाई गईं और मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया।

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दूसरे मामले में 25 वर्षीय आकाश शर्मा पुत्र लाजु राम निवासी कुगती दुर्गेठी के पास अचानक गिरे पत्थर से घायल हो गए। उन्हें भी हेलिकॉप्टर के माध्यम से चंबा पहुंचाया गया। इसके अलावा भरमौर निवासी 50 वर्षीय वकील सिंह और 68 वर्षीय भगत राम को भी गंभीर हालत में एयरलिफ्ट कर मेडिकल कॉलेज चंबा लाया गया। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, घायलों को तुरंत प्राथमिक उपचार देकर भर्ती कर लिया गया है और उनकी स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है।

प्रशासन और राहत कार्य

मणिमहेश यात्रा के दौरान हो रही लगातार मौतों और दुर्घटनाओं को देखते हुए प्रशासन अलर्ट पर है। पुलिस, एसडीआरएफ और स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार यात्रियों को सुरक्षा और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करा रही हैं। रास्ते में मेडिकल कैंप और रेस्क्यू टीमें तैनात की गई हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत सहायता पहुंचाई जा सके।

हालांकि, बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का एक साथ पहुंचना, मौसम की खराब स्थिति और ऊंचाई की चुनौतियां राहत कार्यों को भी कठिन बना रही हैं। कई बार खराब मौसम के कारण हेलिकॉप्टर सेवाएं भी बाधित हो जाती हैं, जिससे घायलों को समय पर अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो जाता है।

श्रद्धालुओं के लिए सलाह

विशेषज्ञों और प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे मणिमहेश यात्रा पर निकलने से पहले अपने स्वास्थ्य की पूरी जांच करा लें। हृदय और श्वसन संबंधी रोगों से पीड़ित लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। साथ ही यात्रियों को पर्याप्त दवाइयां, गर्म कपड़े और जरूरी सामग्री साथ लेकर चलने की हिदायत दी गई है।

आस्था और जोखिम का संगम

हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान शिव के पवित्र दर्शन के लिए मणिमहेश यात्रा करते हैं। यह यात्रा श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास का प्रतीक है, लेकिन साथ ही यह बेहद कठिन और जोखिम भरी भी है। इस बार की 20 मौतों ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि ऐसी ऊंचाई और कठिन परिस्थितियों वाली यात्राओं में और अधिक सुरक्षा इंतजाम और स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

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